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Showing posts from August, 2017

एक ऐसा मन्दिर जहाँ होती है BULLET की पूजा ।

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ओम बन्ना का जन्म पाली जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था ओम बन्ना के पिताश्री का नाम श्रीमान जोग सिंह जी था और ओम बन्ना की माता जी का नाम श्रीमति स्वरुप कँवर था जब ओम बन्ना बड़े हुए तो उनका विवाह बगड़ी सांडेराव गांव में श्रीमती उर्मिला कँवर के साथ कर दिया गया । एक बार जब अपने ससुराल से अपने गांव वापस आ रहे थे तभी उनकी गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया और उनकी गाड़ी एक पेड़ से जा टकराई ओम बन्ना की हुई मृत्यु हो गई उसके बाद जब रोहित थाना की पुलिस ओम बन्ना को लेकर गई तो वह बाइक उसी स्थान पर आ गई कहां एक्सीडेंट हुआ था और यह करम लगभग तीन से चार बार चला उस को देखते हुए गांव वालो और ओम बन्ना के पिताजी ने ओम बन्ना की इच्छा मानते हुए Bullet को वही रखवाली जहा एक्सीडेंट हुआ था ।धीरे-धीरे लोगों का कहना है कि ओम बन्ना उनकी साक्षात्कार में मदद करते हैं और उनकी सहायता करते हैं। ऐसी दिव्यात्मा को हमारा प्रणाम आज भी वहां हजारों की संख्या में भीड़ लगती है और मोटरसाइकिल की पूजा होती है।।

RSS देश का है ये किसी जाती को नही देश का साथ देता है।

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राष्ट्रीय स्वय सेवक के प्रमुख श्री मोहन भागवत वैसे तो हमेशा से ही अपने ब्यानो और अपने रुतबे की वजह से चर्चा में रहते है। वे हमेशा हिन्दू समाज और हिन्दू राष्ट्र का पक्ष और उनका नेतृत्व कर रहे है। लेकिन अब उनका ब्यान पुरे देश के लिए आया है उन्होंने कहा है की RSS देश का संघ है और जो भी देश के हित में होगा वो ये संघ करेगा। उनका यह भी कहना है की देश की हर जाती को उनका सहयोग रहा है चाहे वो हिंदू हो या मुस्लिम । संघ हमेशा से देश के प्रति निष्ठा से काम करता आया है और हमेशा करता रहेगा। मोहन भगवत का कहना है की अगर किसी देश के खिलाफ कुछ बोला तो संघ चुप नही बैठेगा। इस बीच उन्होंने सभी से अपील भी की है वे लोग ज्यादा से ज्यादा संघ से जुड़े और देशभक्ति का साथ दे

बलिदान के बिना कोई क्षत्रिय नही बनता । क्षत्रिय कविता जिससे खून खोले

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जय राजपुताना जय हिन्दू राष्ट्र क्षत्रिय पथ बिना रजपूती ना बणे रे भाईयों , लाख करो विचार । पथ छोङिया मँजिल ना मिले रे भाईयों , जतन करो हजार । मर्यादा रखी राजा राम ने रे भाईयों ,दुनिया पुजे बारम्बार । मर्यादा तोङी रावण ने रे भाईयों , बच ना पायो जतन कर हजार । महाराणा धर्म राखियोँ रे भाईयों ,  दियो अकबर ने झुकाय। औरँगजेब भी आ झुकयो रे भाईयों , दुर्गादास जी दियो झुकाय। क्षत्राणिया सती कहलावती रे भाईयों , चलती खाँडा री धार । अकेलो क्षत्रि भिङ जावतो रे भाईयों , सामने आजावे चाहे हजार। धर्म छत्री ने भुलगा रे भाईयों , चलगा दुनिया रे लारो लार। क्षत्रिय धर्म बिना रजपुती ना बणे रे भाईयों , लाख करो विचार । जय क्षात्र धर्म । जय क्षत्रिय आपका धर्म हु आपकी सोच है और अपनी सोच को बुलन्द करना है तो अपने धर्म को बुलन्द करो जय हिन्द @Rudraksh

साफा बांधना सीखे वो भी 5 मिनट में।।

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आप अगर किसी शादी में राजस्थानी साफा बांधना चाहते है और वो भी एक दम जल्दी तो हमारा ये वीडियो देखो जल्दी से सिख जाओ साफा बांधना।

श्री कृष्णा का अर्जुन को उपदेश ।। महाभारत

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श्री कृष्ण ने महाभारत में अर्जुन को समझाया था की अगर मनुष्य अपने कर्मो को करना छोड़ दे तो इस संसार में किसी कर्म व निष्ठा की कमी आ जायेगी जो की हमारे नियमो के विरुद्ध है

बलात्कार करने वालो की अब खेर नही । लोगो को आया गुस्सा

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भारत में आए दिन किसी नाबालिग के बलात्कार हो जाता है। इसी घटनाओ से गुस्साए लोगो ने अब निर्णय लिया है की अगर कोई बलात्कारी उनके हाथ लग गया तो कोर्ट से पहले वे अपना फैसला सुनाएंगे। लोगो ने अलग अलग दल भी बना लिए है जब कभी भी ऐसी घटना होती है वे लोग उनकी सहायता करेंगे । भारत देश की यही कमी है की यह लोग हवस के इतने अधीन हो जाते है की उनको अपने माँ बहन का चेहरा भी नजर नही आता उस नन्ही सी बच्ची मैं भारत सरकार भी इस समस्याओं से निपटने के लिए निरन्तर प्रयास क्र रही है। भारत सराकर व Non Government Organisers द्वरा नुक्कड़ नाटक ,घर घर जाकर जागरूकता लाने का प्रयास कर रहे है। हम इन सब का समर्थन करते है।

चौहान राजपूतो का इतिहास । History of chauhan Rajput

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अग्निवंश के सम्मेलन कर्ता ऋषि १.वत्सम ऋषि,२.भार्गव ऋषि,३.अत्रि ऋषि,४.विश्वामित्र,५.चमन ऋषि विभिन्न ऋषियों ने प्रकट होकर अग्नि में आहुति दी तो विभिन्न चार वंशों की उत्पत्ति हुयी जो इस इस प्रकार से है- १.पाराशर ऋषि ने प्रकट होकर आहुति दी तो परिहार की उत्पत्ति हुयी (पाराशर गोत्र) २.वशिष्ठ ऋषि की आहुति से परमार की उत्पत्ति हुयी (वशिष्ठ गोत्र) ३.भारद्वाज ऋषि ने आहुति दी तो सोलंकी की उत्पत्ति हुयी (भारद्वाज गोत्र) ४.वत्स ऋषि ने आहुति दी तो चतुर्भुज चौहान की उत्पत्ति हुयी (वत्स गोत्र) चौहानों की उत्पत्ति आबू शिखर मे हुयी दोहा- चौहान को वंश उजागर है,जिन जन्म लियो धरि के भुज चारी, बौद्ध मतों को विनास कियो और विप्रन को दिये वेद सुचारी॥ चौहान की कई पीढियों के बाद अजय पाल जी महाराज पैदा हुये जिन्होने आबू पर्वत छोड कर अजमेर शहर बसाया अजमेर मे पृथ्वी तल से १५ मील ऊंचा तारागढ किला बनाया जिसकी वर्तमान में १० मील ऊंचाई है,महाराज अजयपाल जी चक्रवर्ती सम्राट हुये.search%3Fq%3Dtaragarh%2Bfort%2Bajmer%26um%3D1%26hl%3Den%26sa%3DX%26biw%3D1366%26bih%3D550%26tbs%3Disz:m%26tbm%3Disch&um=1&itbs=1

राठौड़ राजपूतो का इतिहास । History of Rathore Rajput

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राठौड राजपूत --The राठौर एक प्रमुख राजपूत कबीले मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कन्नौज में Gahadvala राजवंश के वंशज हैं। 1947 में ब्रिटिश राज के अंत के समय वे मारवाड़, Jangladesh, राजस्थान, andMadhya प्रदेश में 14 अलग-अलग रियासतों में शासक थे। इनमें सबसे बड़ा और सबसे पुराना जोधपुर, मारवाड़ और बीकानेर में था। जोधपुर के महाराजा को हिंदू राजपूतों के विस्तारित राठौड़ कबीले के प्रमुख के रूप में जाना जाता है। आज कबीले बहुत से हैं और एक विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र में फैल गया है। कई राठौड़ ने राजनीति में सफल करियर का पीछा किया है। 1820 में टोड के सूची के समय, राठौर कबीले, Barmera, Bika, Boola, चम्पावत, डांगी, Jaitawat, Jaitmallot, जोधा, Khabaria, खोखर, Kotaria, Kumpawat, Mahecha, Mertiya, पोखरण, मोहनिया सहित 24 शाखाओं, था मोपा, रेनडा, Sagawat, Sihamalot, सुंडा, Udawat, वानर, और Vikramayat।

चंद्रवंशी क्षत्रियों के वंशज । Vanshaj of chandravanshi kshtriya

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चन्द्रवंशी Chandravansha 1.Somvanshi Kshatriya: Gothra – Atri. Ved – Yajurved. Kuldevi – Mahalaxmi. King Lakhansen was one of the king from this vansha. State – Pratapgarh. 2.Yadav Kshatriya: Gothra – Kondinya. Ved – Yajurved. Guru – Durvasa. Kuldevi – Jogeshwari. Lord Vishnu was born in this vansha. Raja Arjundev was also from this vansha. States – Dwarka, Karoli, Kathiyawara. 3.Bhati Kshatriya: They are also called as Somvanshi. Somvanshi belongs to the vansha of Pradyumna, elder brother of Lord Krishna. The first king from this vansha was Raja Jaisa Bhati. This brave king was the son of Baland Yadav. Raja Gajsingh, Abhaypal, Prithvipal, Maharawal, Ranjitsingh, Maharawal Shalini Vahan were also the kings from this vansha. State Jaisalmer, Sirmur, Mysore, Karoli, Jaisawat. Branches – Sirmour, Jaiswar, Sarmour, Sirmuria, Kaleria Kshatriya, Jadeja. Rawal Jaisal founded Jaisalmer. The temple, palaces of this city are build from yellow stone. Raja Rawal ruled from 1212. 4.Jadeja Ksha

शूरवीर राणा सांगा की वीरगाथा । History of Rana sanga

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राणा सांगा -देख खानवा यहाँ चढ़ी थी राजपूत की त्यौरियाँ ।                 मतवालों की शमसीरों से निकली थी चिनगारियाँ । राणा संग्रामसिंह इतिहास में राणा साँगा के नाम से प्रसिद्ध है। राणा साँगा राणा कुम्भा का पोत्र व राणा रायमल का पुत्र था। इनका जन्म वि.सं. १५३९ वैशाख बदी नवमी (ई.स. १४८२ अप्रेल २२) को हुआ था। मेवाड़ के ही नहीं, सम्पूर्ण भारत के इतिहास में राणा साँगा का विशिष्ट स्थान है। इसके राज्यकाल में मेवाड़ अपने गौरव और वैभव के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचा। कुंवर पदे में इनका अपने बड़े भाई पृथ्वीराज (उड़णा राजकुमार) से विवाद हो गया था। उसी विवाद में इनकी एक आँख फूट गई थी, इस आपसी झगड़े के समय विश्वस्त सरदारों ने राणा साँगा को बचा लिया। प्रारम्भिक काल में (अपने पिता के समय) काफी दिनों तक अज्ञात वास में रहे। अपने दोनों बड़े भाइयों की कुंवर पदे ही मृत्यु होने के बाद वह मेवाड़ में पिता के पास आए। पिता की मृत्यु के पश्चात् वि.सं. १५६६ ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी (ई.स. १५०९) को राज्यभिषेक हुआ। राणा साँगा मेवाड़ के राणाओं में सबसे अधिक प्रतापी था। उस समय का सबसे प्रबल क्षत्रिय राजा था, जिसकी सेवा में

भारतीय सेना ने कब्ज़ा किया चीन में

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भारतीय सेना घुसी चीन में बीजिंग: चीन ने बुधवार को भारत पर निशाना साधते हुए 15 पत्रो का बयान जारी किया है। चीन ने कहा की करीब 400 भारतीय सैनिक करीब 180 मीटर तक चीन की सीमा में घुस आये। और जुलाई महीने के अंत तक करीब 40 जवान व् अनेक बुलडोजर चीनी सीमा में मौजूद थे। वही भारतीय सेना का कहना है की हम न तो पीछे हटेंगे और न ही सेना को कम किया है। हालाँकि पहले विदेश मंत्रालय ते कह चूका है की सीमा तनाव को कम करने के लिए दोनों देशो को पीछे हटना पड़ेगा, लेकिन क्या जो चीन आये दिन अपनी गीदड़ भगतिया दिखा है क्या ये उसके लिए उचित होगा । इसी बात मध्य नजर रखते हुए भारतीय सेना अभी तक पीछे नही हटी है और चीन को मुह थोड़ जवाब दे रही है।। जय हिन्द जय भारत @Rudraksh

अग्निवंशियो के वंशज।। राजपूतो का इतिहास

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अग्निवंशी 1. परमार क्षत्रिय: प्रारर, परमार, पंबूबार गोथम - वशिष्ठ वेद - यजुर्वेद कुलदेवी - सिंचनामा माता, उत्तर भारत में दुर्गा, उज्जैन में काली। उनकी प्राचीन राजधानी चंद्रवती थी, अबू स्टेशन से 4 मील दूर स्थित थी। यह वानशाह अबु पर्वत पर यज्ञ के अग्नि कुंड से विकसित हुआ है। "पराजन मरिथी परमार" का अर्थ है "वानशाह जो दुश्मन को हरा देता है" इसलिए इसे परमार कहा जाता है महान बहादुर राजा विक्रमादित्य, राजा भोज, शालिनीवन, गंधर्वासन इस वांशा से थे। राज्य - मालवा, धरनगारी, धर, देवस, नरसिंहगढ़, उज्जैन। मुस्लिम समुदाय द्वारा सम्राट विक्रमादित्य को एक महान शासक के रूप में भी मान्यता दी गई थी। मक़ब सुल्तानिया में शैअर उल ओकुल की पुस्तक के अनुसार, उनकी महिमा काबा में रखे सोने की प्लेट पर लिखी गई थी। यह शार उल ओकुल में भी उल्लेखित है कि खुशवंतु धौप विक्रमादित्य को दे रहा था। पूरी दुनिया जानता है कि शिवलिंग और कुतुबिमीनार काबरा में विक्रमादित्य द्वारा निर्मित थे परमार क्षत्रिय की 35 शाखाएं हैं जिनमें पवार, बहारिया, उज्जैनिया, भोलपुरीया, सोंथिया, चावड़ा, सुमदा, शंला, डोडा,

सूर्यवंशी क्षत्रियों के वंश ।। राजपूतो का इतिहास

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सूर्यवंशी 1. बद्गुजर क्षत्रिय: गोत्र - वशिष्ठ वेद - यजुर्वेद कुलदेवी - कालिकिका रामचंद्रजी के वन्शा से शाखाएं - सिकरवार, खडल, बैतला, राघव, चोपड़ा, बफना आदि 2.Gyatvanshi क्षत्रिय: तीर्थंकर महावीर राजपूत क्षत्रिय थे और यह वांशा का है। बाद में उन्होंने जैन धर्म का गठन किया। 3.गौर, गौद क्षत्रिय: गोत्र - भारद्वाज वेद - यजुर्वेद देवी-महाकाली इशा - ह्रीददेव भगवान राजा जयद्रता के Vansha से, सिंहदित्य, लक्ष्मण्यतिय भी इस vansha करने के लिए संबंधित है राज्य - अजमेर, तक्षशिले, अवध, गोहती, शिवगढ़ शाखाएं - अमेठीया क्षत्रिय कुल 5 शाखाएं 1290 से अस्तित्व में है 4. रकर क्षत्रिय: गोत्र - भारद्वाज वेद - यजुर्वेद राजा सुवल, शकुनी इस वानशाह का है राज्य - जम्मू, रामनगर, रामपुर, मथुरा आदि के पास रायकरगढ़। राईकढ़ नाम का रईकर यह राठौर की एक शाखा ह 5. सिखवार क्षत्रिय: शिखरवाल, सकरवार समान हैं गोत्र- भारद्वाज कुलदेवी - दुर्गा देवता - विष्णु यह बडगुजर की एक शाखा है इस राजा के कई राजा हैं राज्य - शिकारवार (शहर) शाखाएं - कडोलिया, सरस्वारा आदि 6.दिक्ति क्षत्रिय: गोथम - कश्यप वेद - साम्वेड देवी - दुर्